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पानीपत, 21 फरवरी, 2025 (रोहित सोलंकी)। पानीपत यूनिवर्सिटी हरियाणा में आयोजित राष्ट्रीय लिटरेचर फेस्टिवल दिनेश सिंदल के मुख्य आतिथ्य व बीज व्यक्तव्य के साथ सम्पन्न हुआ । कार्यक्रम में गजल व कविता की सुंदर अभिव्यक्ति और इंसानी जज्बातों के प्रस्तुतीकरण पर विभिन्न सत्रों में व्याख्यान हुए ।
वीरवार को आयोजित उक्त फेस्टिवल में 19 महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय के हजारों विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर दिनेश सिंदल ने कविता के सत्र में कविता व कविता के प्रस्तुतीकरण पर बात की। उन्होंने कहा कि कलाएं मनुष्य को जोड़ने का काम करती है और कविता भी एक तरह की अभिव्यक्ति कला है ।
उन्होंने कहा कि कविता इंसान में वर्ग , वर्ण, जाति,क्षेत्र के भेद को भुला कर मनुष्य को मनुष्य की तरह देखने का आग्रह करती है। उन्होंने कविता पर बाजार के प्रभाव को लेकर चिंता व्यक्त की। उन्होंने बताया कि कविता कंठ से नहीं हृदय से पढ़ी जाती है।
अपने काव्य पाठ के दरमियान जब उन्होंने पढ़ा : लोग चाहे तीर की तलवार की बातें करें , आइए हम प्रीत की मनुहार की बातें करें !!
लोग आए है यहां अंगार लेकर,
हम उन्हीं के सामने है प्यार लेकर !!
कोई मेरी राहों में जब शूल बनाता चला गया,
मैं पांवों को शूलों के अनुकूल बनाता चला गया !!
सिंदल के इन शेरों को उपस्थित श्रोताओं ने मुक्त कंठ से दाद दी। उन्होंने कुछ मोटिवेशनल शेर भी पड़े।
उसकी आदत थी वो चुनता ही जाता था दीवारें,
मेरी आदत थी कि मैने दीवारों पर छत रख दी!!
और अपने पत्थर उछाले थे कभी मेरी तरफ, सारे पत्थर दोस्तों वो घर बनाने में लगे !!
इन चुनिंदा शेरों पर खचाखच भरे हाल ने खड़े होकर करतल ध्वनि से सिंदल का अभिवादन किया। लिट फेस्टिवल व्याख्यान – 2 में विश्वविद्यालय द्वारा दिनेश सिंदल का अधिष्ठाता मंडल द्वारा विशेष सम्मान किया गया।