भूप एक्सप्रेस।
हिसार 05 जुलाई2025 : एच.पी.सी.सी. लीगल डिपार्टमेंट के हरियाणा प्रदेशाध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता लाल बहादुर खोवाल ने हाल ही में इंडोनेशिया की यात्रा से लौटने के बाद वहां के धार्मिक सौहार्द और सामाजिक समरसता की सराहना करते हुए कहा कि “इंडोनेशिया में भारतीय शैली का जातिवाद नहीं है। वहां विभिन्न धर्मों के लोग प्रेम, भाईचारे और सहयोग के साथ रहते हैं।”
यह यात्रा देशभर से कुम्हार/प्रजापति समाज से जुड़े गणमान्य प्रतिनिधियों और उनके परिवारों के साथ संपन्न हुई। खोवाल ने बताया कि इंडोनेशिया, जहां लगभग 87% मुस्लिम आबादी है, वहां हिंदू (1.7%) और ईसाई (10%) समुदाय भी शांति और सम्मान के साथ रहते हैं। खासकर बाली द्वीप में हिंदू समाज का रहन-सहन देखने लायक है, जहां सीमित जातीय वर्गीकरण (जैसे ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र) केवल धार्मिक और पारंपरिक आयोजनों तक सीमित है। “यह भारतीय समाज की तरह कठोर और व्यापक जातिव्यवस्था नहीं है,” उन्होंने स्पष्ट किया वहां इतनी मुस्लिम आबादी होने के बावजूद भी प्रतिदिन एक घंटा रामायण आधारित सीता हरण पर रामलीला दिखाई जाती है। जिसे सभी धर्मों के लोग प्रतिदिन देखते हैं,जो अपने आप में अद्भुत बात हैं।

उन्होंने बताया कि इंडोनेशिया का संविधान इस्लाम, हिंदू, प्रोटेस्टेंट, कैथोलिक, बौद्ध और कन्फ्यूशियस — इन छह धर्मों को आधिकारिक मान्यता देता है। यहां की सरकार और नागरिक मिलकर धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। वहां की सुंदर वादियाँ, शांतिपूर्ण वातावरण और सांस्कृतिक विविधता भी लोगों के जीवन को बेहतर बनाती हैं।

खोवाल ने कहा, “भारत को इंडोनेशिया से यह सीखने की जरूरत है कि विविध धर्मों और संस्कृति में रहकर भी कैसे आपसी प्रेम और सहयोग के साथ समाज को आगे बढ़ाया जा सकता है।” उन्होंने वर्तमान में देश में बढ़ रही जाति-धर्म आधारित राजनीति पर चिंता जताई और समाज को एकजुट होकर प्रेम, भाईचारे और सहयोग के साथ आगे बढ़ने की अपील की।

इस प्रतिनिधिमंडल में आर.एस. वर्मा, ईश्वरीलाल, कर्मचंद बबलू, विनोद शुक्रालिया, चंद्राराम गुर्री, वेद प्रकाश आर्य, नाथी राम, दीनदयाल, रमेश कुमार, गोबिंद राम, नरेश मार्बल, ओम प्रकाश जालंधरा, अमित कुमार, आईना वर्मा, हिमांशु आर्य खोवाल, प्रदीप डाबोदिया, पूनम, हिमानी, अरुण, विनय और उदीक्क्षा जैसे विभिन्न राज्यों से जुड़े न्यायिक अधिकारी, आईएएस अधिकारी,डॉक्टर, उद्योगपति, अधिवक्ता, सेवानिवृत्त अधिकारी और समाजसेवी शामिल थे। सभी ने परिवार सहित यात्रा में भाग लेकर इंडोनेशिया की सांस्कृतिक और सामाजिक विविधता को नजदीक से देखा।